Post Name : UGC NET Sanskrit Syllabus 2024 For Paper 1 & 2, Exam Pattern
Post Date : 27 January , 2024
Post Description : UGC NET 2024 Exam schedule has been revised by the National Testing Agency (NTA). The UGC NET exam pattern, as well as the syllabus outlined by NTA, are of great interest to candidates planning to take part in this exam. Having a clear understanding of these aspects is crucial for effective exam preparation. The syllabus for the UGC NET 2024 Exam mirrors that of other bank exams. It’s crucial for aspirants aiming for the upcoming UGC NET 2024 exams to acquaint themselves with the comprehensive UGC NET Sanskrit Syllabus 2024, ensuring a strong preparation to attain good marks. Divided into the complete syllabus in detailed in the article below.
UGC NET Sanskrit Syllabus 2024 Overview
It is high time for candidates who are interested in the job profile under UGC NET Recruitment 2024. Check out the key details for the UGC NET Sanskrit Syllabus 2024 and Exam Pattern in the table below.
UGC NET Sanskrit Syllabus 2024 | |
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Name of the Exam | National Eligibility Test (NET) |
Conducting Body | National Testing Agency (NTA) |
Exam Conducted in A Year | Twice a Year |
Subject Code | 16 |
Subject | Sanskrit |
Mode of Examination | Online |
Type of Questions | Multiple Choice Questions (MCQs) |
Number of Papers |
|
Number of Questions | 150 |
Time Duration | 3 hours |
Negative Marking | No |
Official website | https://ugcnet.nta.nic.in/ |
UGC NET Sanskrit Syllabus 2024
Below are the units of UGC NET Sanskrit Syllabus 2024:
- वैदिक-साहित्य का सामान्य परिचय
- वैदिक साहित्य का विशिष्ट अध्ययन
- दर्शन – साहित्य
- दर्शन – साहित्य का विशिष्ट अध्ययन
- व्याकरण एवं भाषाविज्ञान
- व्याकरण का विशिष्ट अध्ययन
- संस्कृत साहित्य, काव्यशास्त्र एवं छन्दपरिचय
- निम्नलिखित का विशिष्ट अध्ययन
- पुराणेतिहास, धर्मशास्त्र एवं अभिलेखशास्त्र
- निम्नलिखित ग्रन्थों का विशिष्ट अध्ययन
UGC NET Sanskrit Syllabus 2024 For Paper 2
Candidates can check the detailed UGC NET Sanskrit Syllabus in the below. In this unit wise topics has been given in details.
Table of Contents
ToggleUnit 1: (क) वैदिक साहित्य का सामान्य परिचय :
- वेदों का काल : मैक्समूलर, ए. वेबर, जैकोबी, बालगंगाधर तिलक, एम. विन्टरनिट्ज, भारतीय परम्परागत विचार
- संहिता साहित्य
- संवाद सूक्त : पुरुरवा – उर्वशी, यम- यमी, सरमा-पणि, विश्वामित्र नदी
- ब्राह्मण साहित्य
- आरण्यक साहित्य
- वेदांग : शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द, ज्योतिष
Unit 2: (ख) वैदिक साहित्य का विशिष्ट अध्ययन :
- निम्नलिखित सूक्तों का अध्ययन :
- ऋग्वेदः – अग्नि (1.1), वरुण (1.25), सूर्य (1.125), इन्द्र (2.12), उषस् (3.61), पर्जन्य (5.83)अक्ष (10.34), ज्ञान (10.71), पुरुष (10.90), हिरण्यगर्भ (10.121), वाक् (10.125), नासदीय (10.129)
- शुक्लयजुर्वेदः – शिवसंकल्प, अध्याय 34 (1-6), प्रजापति, अध्याय 23 (1-5)
- अथर्ववेद : राष्ट्राभिवर्धनम् (1.29), काल (10.53), पृथिवी (12.1)
- ब्राह्मण-साहित्य : प्रतिपाद्य विषय, विधि एवं उसके प्रकार, अग्निहोत्र, अग्निष्टोम, दर्शपूर्णमास यज्ञ, पंचमहायज्ञ, आख्यान (शुन : शेष, वाङ्मनस्)।
- उपनिषद्-साहित्य : निम्नलिखित उपनिषदों की विषयवस्तु तथा प्रमुख अवधारणाओं का अध्ययन : ईश, कठ, केन, बृहदारण्यक, तैत्तिरीय, श्वेताश्वतर
- वैदिक व्याकरण, निरुक्त एवं वैदिक व्याख्या पद्धति :
- ऋक्प्रातिशाख्य : निम्नलिखित परिभाषाएँ –
समानाक्षर, सन्ध्यक्षर, अघोष, सोष्म, स्वरभक्ति, यम, रक्त, संयोग, प्रगृह्य, रिफित - निरक्त (अध्याय 1 तथा 2 )
चार पद – नाम विचार, आख्यात विचार, उपसर्गों का अर्थ, निपात की कोटियाँ - निरुक्त अध्ययन के प्रयोजन
- निर्वचन के सिद्धान्त
- निम्नलिखित शब्दों की व्युत्पत्ति : आचार्य, वीर, ह्रद, गो, समुद्र, वृत्र, आदित्य, उषस्, मेघ, वाक्, उदक, नदी, अश्व, अग्नि, जातवेदस्, वैश्वानर, निघण्टु
- निरुक्त (अध्याय 7 दैवत काण्ड)
- वैदिक स्वर : उदात्त, अनुदात्त तथा स्वरित
- वैदिक व्याख्या पद्धति: प्राचीन एवं अर्वाचीन
- ऋक्प्रातिशाख्य : निम्नलिखित परिभाषाएँ –
Unit 3: दर्शन – साहित्य
- (क) प्रमुख भारतीय दर्शनों का सामान्य परिचय : प्रमाणमीमांसा, तत्त्वमीमांसा, आचारमीमांसा (चार्वाक, जैन, बौद्ध, न्याय, सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा के संदर्भ में)
Unit 4: (ख) दर्शन – साहित्य का विशिष्ट अध्ययन :
- ईश्वरकृष्ण; सांख्यकारिका – सत्कार्यवाद, पुरुषस्वरूप, प्रकृतिस्वरूप, सृष्टिक्रम, प्रत्ययसर्ग, कैवल्य
- सदानन्द ; वेदान्तसार : अनुबन्ध-चतुष्ट्य, अज्ञान, अध्यारोप- अपवाद, लिंगशरीरोत्पात्ति, पंचीकरण, विवर्त, महावाक्य, जीवन्मुक्ति ।
- अन्नंभट्टः तर्कसंग्रह / केशव मिश्र; तर्कभाषा : पदार्थ, कारण, प्रमाण (प्रत्यक्ष अनुमान, उपमान, शब्द ), प्रामाण्यवाद, प्रमेय।
- लौगाक्षिभास्कर; अर्थसंग्रह
- पतंजलि; योगसूत्र, – (व्यासभाष्य) : चित्तभूमि, चित्तवृत्तियाँ, ईश्वर का स्वरूपयोगाङ्ग, समाधि, कैवल्य |
- बादरायण ब्रह्मसूत्र 1.1 (शांकरभाष्य)
- विश्वनाथपंचानन; न्यायसिद्धान्तमुक्तावली (अनुमानखण्ड)
- सर्वदर्शनसंग्रह; जैनमत, बौद्धमत
Unit 5: व्याकरण एवं भाषाविज्ञान
(क) सामान्य परिचय : निम्नलिखित आचार्यों का परिचय –
- पाणिनि, कात्यायन, पतंजलि, भर्तृहरि, वामनजयादित्य, भट्टोजिदीक्षित, नागेश भट्ट, जैनेन्द्र, कैय्यट, शाकटायन, हेमचन्द्रसूरि, सारस्वतव्याकरणकार।
- पाणिनीय शिक्षा
- भाषाविज्ञान : भाषा की परिभाषा, भाषा का वर्गीकरण (आकृतिमूलक एवं पारिवारिक), ध्वनियों का वर्गीकरण : स्पर्श, संघर्षी, अर्धस्वर, स्वर (संस्कृत ध्वनियों के विशेष संदर्भ में), मानवीय ध्वनियंत्र, ध्वनि परिवर्तन के कारण, ध्वनि नियम (ग्रिम, ग्रासमान, वर्नर) अर्थ परिवर्तन की दिशाएँ एवं कारण, वाक्य का लक्षण व भेद, भारोपीय परिवार का सामान्य परिचय, वैदिक संस्कृत एवं लौकिक संस्कृत में अन्तर, भाषा तथा वाक् में अन्तर, भाषा तथा बोली में अन्तर।
Unit 6: (ख) व्याकरण का विशिष्ट अध्ययन:
- परिभाषाएँ – संहिता, संयोग, गुण, वृद्धि, प्रातिपदिक, नदी, घि, उपधा, अपृक्त, गति, पद, विभाषा, सवर्ण, टि, प्रगृह्य, सर्वनामस्थान, भ, सर्वनाम, निष्ठा।
- सन्धि – अच् सन्धि, हल् सन्धि, विसर्ग सन्धि (लघुसिद्धान्तकौमुदी के अनुसार)
- सुबन्त – अजन्त – राम, सर्व (तीनों लिंगों में), विश्वपा, हरि, त्रि (तीनों लिंगों में)सखि, सुधी, गुरु, पितृ, गौ, रमा, मति, नदी, धेनु, मातृ, ज्ञान, वारि, मधु ।
- हलन्त – लिहू, विश्ववाहु, चतुर् (तीनों लिंगों में), इदम् (तीनों लिंगों में), किम् (तीनों लिंगों में)तत् (तीनों लिंगों में), राजन्, मघवन्, पथिन्, विद्वस्, अस्मद्, युष्मद् ।
- समास – अव्ययीभाव, तत्पुरुष, बहुव्रीहि, द्वन्द्व, (लघुसिद्धान्तकौमुदी के अनुसार)
- तद्धित – अपत्यार्थक एवं मत्वर्थीय (सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार)
- तिङन्त – भू, एध्, अद्, अस्, हु, दिव्, षुञ्, तुद्, तन्, कृ, रुध्, क्रीञ्, चुर्।
- प्रत्ययान्त – णिजन्त; सन्नन्त; यङन्त; यङ्लुगन्त; नामधातु। कृदन्त – तव्य / तव्यत्ः अनीयर्; यत्; ण्यत्; क्यप्; शतृ; शानच्; क्त्वा; क्त; क्तवतु; तुमुन्; णमुल्।
- स्त्रीप्रत्यय – लघुसिद्धान्त कौमुदी के अनुसार
- कारक प्रकरण – सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार
- परस्मैपद एवं आत्मनेपद विधान – सिद्धान्तकौमुदी के अनुसार
- महाभाष्य ( पस्पशाहिह्नक) – शब्दपरिभाषा, शब्द एवं अर्थ संबंध, व्याकरण अध्ययन के उद्देश्य, व्याकरण की परिभाषा, साधु शब्द के प्रयोग का परिणाम, व्याकरण पद्धति ।
- वाक्यपदीयम् (ब्रह्मकाण्ड) – स्फोट का स्वरूप, शब्द- ब्रह्म का स्वरूप, शब्द- ब्रह्म की शक्तियाँ, स्फोट एवं ध्वनि का संबंध, शब्द- अर्थ संबंध, ध्वनि के प्रकार, भाषा के स्तर।
Unit 7: संस्कृत साहित्य, काव्यशास्त्र एवं छन्दपरिचय :
(क) निम्नलिखित का सामान्य परिचय :
- भास, अश्वघोष, कालिदास, शूद्रक, विशाखदत्त, भारवि, माघहर्ष, बाणभट्ट, दण्डी, भवभूति, भट्टनारायण, बिल्हण, श्रीहर्ष, अम्बिकादत्तव्यास, पंडिता क्षमाराव, वी. राघवन्, श्रीधर भास्कर वर्णेकर ।
- काव्यशास्त्र : रससम्प्रदाय, अलंकारसम्प्रदाय, रीतिसम्प्रदाय, ध्वनिसम्प्रदाय, व्रकोक्तिसम्प्रदाय, औचित्यसम्प्रदाय
- पाश्चात्य काव्यशास्त्र : अरस्तू, लॉन्जाइनस, क्रोचे ।
Unit 8: (ख) निम्नलिखित का विशिष्ट अध्ययन :
- पद्य : बुद्धचरितम् (प्रथम) रघुवंशम् (प्रथमसर्ग), किरातार्जुनीयम् (प्रथमसर्ग), शिशुपालवधम्, (प्रथमसर्ग), नैषधीयचरितम् (प्रथमसर्ग ) नाट्य : स्वप्नवासवदत्तम्, अभिज्ञानशाकुन्तलम्, वेणीसंहारम्, मुद्राराक्षसम्, उत्तररामचरितम्, रत्नावली, मृच्छकटिकम्
- गद्य : दशकुमारचरितम् (अष्टम-उच्छवास), हर्षचरितम् (पञ्चम-उच्छवास)कादम्बरी (शुकनासोपदेश)
- चम्पूकाव्य : नलचम्पूः (प्रथम-उच्छवास)
- साहित्यदर्पण : काव्यपरिभाषा, काव्य की अन्य परिभाषाओं का खण्डन, शब्दशक्ति – (संकेतग्रह, अभिधा, लक्षणा, व्यंजना), काव्यभेद (चतुर्थ परिच्छेद) श्रव्यकाव्य (गद्य, पद्य, मिश्र काव्य-लक्षण)
- काव्यप्रकाश : काव्यलक्षण, काव्यप्रयोजन, काव्यहेतु, काव्यभेद, शब्दशक्ति, अभिहितान्वयवाद, अन्विताभिधानवाद, रसस्वरूप एवं रससूत्र विमर्श, रसदोष, काव्यगुणव्यंजनावृत्ति की स्थापना (पञ्चम उल्लास)
- अंलकार : वक्रोक्ति, अनुप्रास, यमक, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, समासोक्ति, अपह्नुति, निदर्शना, अर्थान्तरन्यास, दृष्टान्त, विभावना, विशेषोक्ति, स्वभावोक्ति, विरोधाभास, सकर, संसृष्टि
- ध्वन्यालोकः ( प्रथम उद्योत)
- वक्रोक्तिजीवितम् (प्रथम उन्मेष )
- भरत नाट्यशास्त्रम् (द्वितीय एवं षष्ठ अध्याय)
- दशरूपकम् ( प्रथम तथा तृतीय प्रकाश)
- छन्द परिचय – आर्या, अनुष्टुप् इन्द्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, वसन्ततिलका, उपजाति, वंशस्थ, द्रुतविलम्बित, शालिनी, मालिनी, शिखरिणी, मन्दाक्रान्ता, हरिणी, शार्दूलविक्रीडित, स्रग्धरा।
Unit 9: पुराणेतिहास, धर्मशास्त्र एवं अभिलेखशास्त्र
(क) निम्नलिखित का सामान्य परिचयः
- रामायण – विषयवस्तु, काल, रामायणकालीन समाज, परवर्ती ग्रन्थों के लिए प्रेरणास्रोत, साहित्यिक महत्त्व, रामायण में आख्यान
- महाभारत – विषयवस्तु, काल महाभारतकालीन समाज, परवर्ती ग्रन्थों के लिए प्रेरणास्रोत, साहित्यिक महत्त्व, महाभारत में आख्यान।
- पुराण – पुराण की परिभाषा, महापुराण – उपपुराण, पौराणिक सृष्टि-विज्ञान, पौराणिक आख्यान।
- प्रमुख स्मृतियों का सामान्य परिचय।
- अर्थशास्त्र का सामान्य परिचय|
- लिपि : ब्राह्मी लिपि का इतिहास एवं उत्पत्ति के सिद्धान्त।
- अभिलेख का सामान्य परिचय
Unit 10: (ख) निम्नलिखित ग्रन्थों का विशिष्ट अध्ययन
- कौटिलीय अर्थशास्त्रम् (प्रथम-विनयाधिकारिक)
- मनुस्मृतिः – ( प्रथम, द्वितीय तथा सप्तम अध्याय)
- याज्ञवल्क्यस्मृतिः – ( व्यवहाराध्याय)
- लिपि तथा अभिलेख – गुप्तकालीन तथा अशोक कालीन ब्राह्मी लिपि ।
- अशोक के अभिलेख – प्रमुख शिलालेख, प्रमुख स्तम्भ लेख
- मौर्योत्तर कालीन अभिलेख – कनिष्क के शासन वर्ष 3 का सारनाथ बौद्ध प्रतिमा लेख, रुद्रदामन् का गिरनार शिलालेख, खारवेल का हाथीगुम्फा अभिलेख
- गुप्तकालीन एवं गुप्तोत्तरकालीन अभिलेख – समुद्रगुप्त का इलाहाबाद स्तम्भलेख, यशोधर्मन् का मन्दसौर शिलालेख, हर्ष का बांसखेड़ा ताम्रपट्ट अभिलेख, पुलकेशिन् द्वितीय का ऐहोल शिलालेख
UGC NET Sanskrit Exam Pattern 2024
- Candidates are required to attend all questions of the exam.
- All correct answers will get 2 points.
UGC NET Sanskrit Exam Pattern 2024 | ||
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Paper | Number of Questions | Marks |
Paper I (Common Paper) | 50 | 100 |
Paper II (Sanskrit) | 100 | 200 |